Rahsya (Hindi) Rahsya (Hindi)

Rahsya (Hindi‪)‬

    • 0,99 €
    • 0,99 €

Beschreibung des Verlags

विमल प्रकाश ने सेवाश्रम के द्वार पर पहुँचकर जेब से रूमाल निकाला और बालों पर पड़ी हुई गर्द साफ की, फिर उसी रूमाल से जूतों की गर्द झाड़ी और अन्दर दाखिल हुआ। सुबह को वह रोज टहलने जाता है और लौटती बार सेवाश्रम की देख-भाल भी कर लेता है। वह इस आश्रम का बानी भी है, और संचालक भी।

सेवाश्रम का काम शुरू हो गया था। अध्यापिकाएँ लड़कियों को पढ़ा रही थीं, माली फूलों की क्यारियों में पानी दे रहा था और एक दरजे की लड़कियाँ हरी-हरी घास पर दौड़ लगा रही थीं। विमल को लड़कियों की सेहत का बड़ा खयाल है।

विमल एक क्षण वहीं खड़ा प्रसन्न मन से लड़कियों की बाल-क्रीड़ा देखता रहा, फिर आकर दफ्तर में बैठ गया। क्लर्क ने कल की आयी हुई डाक उसके सामने रख दी। विमल ने सारे पत्र एक-एक करके खोले और सरसरी तौर पर पढक़र रख दिये, उसके मुख पर चिन्ता और निराशा का धूमिल रंग दौड़ गया। उसने धन के लिए समाचार-पत्रों में जो अपील निकाली थी, उसका कोई असर नहीं हुआ? कैसे यह संस्था चलेगी? लोग क्या इतने अनुदार हैं? वह तन-मन से इस काम में लगा हुआ है। उसके पास जो कुछ था वह सब उसने इस आश्रम को भेंट कर दी। अब लोग उससे और क्या चाहते हैं? क्या अब भी वह उनकी दया और विश्वास के योग्य नहीं है?

GENRE
Belletristik und Literatur
ERSCHIENEN
2014
3. Juli
SPRACHE
HI
Hindi
UMFANG
23
Seiten
VERLAG
Sai ePublications & Sai Shop
GRÖSSE
161
 kB

Mehr Bücher von Premchand

युग-स्रष्टा युग-स्रष्टा
2016
Sawa Ser Gehun Aur Prerna Sawa Ser Gehun Aur Prerna
2017
कलम, तलवार और त्याग कलम, तलवार और त्याग
2016
अहंकार अहंकार
2016
रामचर्चा रामचर्चा
2016
गोदान गोदान
2016