दो एकान्त दो एकान्त

दो एकान्‪त‬

Do Ekant

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Publisher Description

आधुनिकता सामाजिक ढाँचा ही नहीं है बल्कि हमारी व्यक्तिगत मानसिक स्थिति और स्वत्व बन गयी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि प्रेम जैसी निजी अनुभूति पर भी इसका तनाव अनुभव होता है। इसलिए कभी-कभी जो आजीवन प्रेम के स्थान पर हम प्रेम के तनाव में ही रहते होते हैं। इस उपन्यास में वानीरा और विवेक के माध्यम से इस आधुनिक तनाव वाली घटना-हीन वास्तविकता को अत्यन्त सूक्ष्म शैली, चित्रों और मनःस्थितियों के द्वारा श्रीनरेश मेहता ने प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास की कथावस्तु बिल्कुल भी नवीन नहीं है बल्कि इसमें प्रेमकथाओं वाला वह त्रिकोण तक है जिसका प्रयोग सस्ते उपन्यासों से लेकर महान रचनाओं तक में लिखा जा चुका है। तब, ऐसी स्थिति में लेखक का प्रयोजन क्या है? सम्भवतः यही प्रश्न मेरे सामने भी रहा है, इसे लिखने के पूर्व भी एवं बाद भी। इस उपन्यास के चरित्र घटनाओं में नहीं, स्थितियों में खड़े हैं तथा अन्त में पहुँचते भी हैं।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2011
9 December
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
190
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SELLER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
919.5
KB

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