Aatmadan Aatmadan

Aatmadan

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Publisher Description

स्थाणीश्वर से अब वे बहुत दूर नहीं थे। यदि इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो समय से स्थाणीश्वर पहुँच जाएँगे। मार्ग में रुकना पड़ा अथवा घोड़ा थक गया तो विलंब होने की संभावना थी। अंधकार घिर आया तो इस गति से बढ़ना नहीं रह जाएगा। राज्यवर्धन को देश के विरुद्ध ही नहीं काल के विरुद्ध भी दौड़ना था।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2010
1 December
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
132
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SELLER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
776
KB

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