Bharat Ke 1235 Varshiya Swatantra Sangram Ka Itihas - Weh Ruke Nahin Hum Jhuke Nahin : Bhag - 2: भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास - वह रुके नहीं हम झुके नहीं : भाग - 2 Bharat Ke 1235 Varshiya Swatantra Sangram Ka Itihas - Weh Ruke Nahin Hum Jhuke Nahin : Bhag - 2: भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास - वह रुके नहीं हम झुके नहीं : भाग - 2

Bharat Ke 1235 Varshiya Swatantra Sangram Ka Itihas - Weh Ruke Nahin Hum Jhuke Nahin : Bhag - 2: भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास - वह रुके नहीं हम झुके नहीं : भाग - 2

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Publisher Description

हिन्दुस्थान के गौरव की अनूठी झांकी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है- ‘भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (भाग-2)’। पुस्तक हर देशभक्त को झकझोरती है और एक ही प्रश्न उससे पूछती है कि इतिहास की जिस गौरवमयी परंपरा ने हमें स्वतंत्र कराया, उस इतिहास को आप कब स्वतंत्र कराओगे ? इतिहास को उसकी परिभाषा और उसकी भाषा कब प्रदान करोगे ?
लेखक राकेश कुमार आर्य हिन्दी दैनिक ‘उगता भारत’ के मुख्य संपादक हैं। 17 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जनपद के महावड़ ग्राम में जन्मे लेखक की अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिन पर उन्हें राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से देश में विभिन्न स्थानों पर सम्मानित भी किया जा चुका है। उनका भारतीय संस्कृति पर गहन अधययन है, इसलिए लेखन में भी गंभीरता और प्रामाणिकता है। उनका लेखन निरंतर जारी है



पुस्तक को आद्योपांत पढने से ज्ञात होता है कि भारत में विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने का अभियान 712 ई- से 1947 तक के 1235 वर्षीय कालखण्ड में एक दिन के लिए भी बाधित नहीं हुआ। भारत लड़ता रहा-गुलामी से, लूट से, अत्याचार से, निर्ममता से, निर्दयता से, तानाशाही से, राजनीतिक अन्याय से, अधर्म से और पक्षपात से।



भारत क्यों लड़ता रहा ? क्योंकि गुलामी, लूट, अत्याचार, निर्ममता, निर्दयता, तानाशाही, राजनीतिक, अन्याय, अधर्म और पक्षपात उसकी राजनीति और राजधर्म के कभी भी अंग नही रहे।



यहां तो राजनीति और राजधर्म का पदार्पण ही समाज में आयी इन कुरीतियों से लड़ने के लिए हुआ था। इस प्रकार भारत की राजनीति का राजधर्म शुद्ध लोकतांत्रिक था। एक शुद्ध लोकतांत्रिक समाज और लोकतांत्रिक राजनीति अधर्म, अन्याय और पक्षपाती विदेशी राजनीतिक व्यवस्था को भला कैसे स्वीकार करती? इसलिए संघर्ष अनिवार्य था। अतः आज भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम को विश्व में लोकतंत्र के लिए लड़ा गया संघर्ष घोषित करने की आवश्यकता है।



इस पुस्तक में राष्ट्र की तर्क संगत व्याख्या करते हुए भारत के इतिहास का पुनर्लेखन करने की दिशा में भारत का 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का यह दूसरा खण्ड लिखकर ठोस कार्य किया है। उन्होंने भारत को बहुलतावादी सामाजिक व्यवस्था को भारत की एक अनिवार्यता माना है और उसे किसी भी प्रकार से आघात न पहुंचाते हुए सर्व—पन्थ—समभाव की भावना पर बल दिया है।

GENRE
History
RELEASED
2017
2 January
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
464
Pages
PUBLISHER
Diamond Pocket Books
SELLER
diamond pocket books pvt ltd
SIZE
2.9
MB

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