Ik Poshida Dariya Nazmo'n Ka Ik Poshida Dariya Nazmo'n Ka

Ik Poshida Dariya Nazmo'n Ka

    • 0,99 €
    • 0,99 €

Beschrijving uitgever

ज़िन्दगी की इस अंधाधुंध दौड़ और दुनिया की आपा-धापी से दूर भी इक जहान है, जहाँ सिर्फ़ हम होते हैं और होता है हमारे जज़्बातों का इक अबद दरिया। इन्हीं जज़्बातों के दरिया में सराबोर हैं ये नज़्में, जो आज तलक सबकी नज़रों से पोशीदा थीं।
ये किताब इन्हीं 100 चुनिंदा पोशीदा नज़्मों का संकलन है। इसमें मौजूद हर नज़्म एक दूसरे से अलहदा है। इन नज़्मों में कहीं आपको इश्क़ की चाशनी मिलेगी, कहीं रूहानी सुकून मिलेगा तो कहीं मिलेंगे वो दर्द भरे जज़्बात। ये किताब उर्दू ज़बान ना जानने वालों के लिए भी है, क्यूँकि इसमें फ़ुटनोट पर मुश्किल शब्दों की मायने भी मौजूद हैं, जिससे आपको पढ़ने में बहुत आसान लगेगी।

--

इंडियन ओवरसीज़ बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत, युवा हिन्दी लेखक उत्कर्ष 'मुसाफ़िर' मूल रूप से चित्रकूट धाम कर्वी ज़िले के रहने वाले हैं। इन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कर्वी में ही रह कर की है। ग्रेजुएशन इन्होंने सतना ज़िले के महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से किया है। अभी ये इंडियन ओवरसीज़ बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। लेखन का शौक़ इन्हें काफ़ी वक़्त से है। उत्कर्ष जी को उर्दू ज़बान की नज़्में लिखने का काफ़ी शौक़ है। इनकी लिखी नज़्में रेख़्ता पर भी उपलब्ध हैं जिन्हें आप उत्कर्ष 'मुसाफ़िर' के नाम से पढ़ सकते हैं।

GENRE
Fictie en literatuur
UITGEGEVEN
2020
15 maart
TAAL
HI
Hindi
LENGTE
45
Pagina's
UITGEVER
Rajmangal Publishers
GROOTTE
529,1
kB