Pravah Pravah

Pravah

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प्रवाह के साथ बह कर कहीं पहुँचा तो जा सकता है, लेकिन क्या वो उपलब्धि हमारी होगी? हम लक्ष्य प्राप्ति की बात करते हैं, आगे बढ़ने की बात करते हैं, लेकिन यही बातें अन्य भी तो करते हैं। तो फिर क्या भिन्न है हम में, हमारे ढंग में? क्या हम बस एक बने हुए मार्ग पर चल कर जीत सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं या एक पड़ाव आगे की सोच कर नये मार्ग स्थापित कर रहे हैं? क्या हम धारा के प्रवाह पर अपना भविष्य आश्रित कर रहे हैं या उचित दिशा में तैरकर अपने लिये नये आयाम ढूंढ रहे हैं? कुछ इन्हीं प्रश्नों पर चिन्तन करती कविताओं की कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत है।
ये आरंभ होती है इस अनुभूति के साथ कि हम कुछ तय मानकों व कुछ अनुभव के आधार पर किसी को जाने बिना उसकी पूर्वकल्पना कर बैठते हैं। और जब उसका वास्तविक स्वरूप हमारे रचे चरित्र से मेल नहीं खाता, तब या तो आश्चर्य से भर जाते हैं, या उसकी वास्तविकता को ही नकार देते हैं, उसे कृत्रिम मानकर।

हिन्दी भाषा के युवा साहित्यकार प्रेरित डागा को अपनी मातृभाषा, संस्कृति और कला से बेहद लगाव है। कुछ नया जानने व सीखने का प्रयास करते रहने वाले अपनी पढ़ाई दिल्ली में की है तथा मौजूदा समय में बेंगळूरु शहर में कार्यरत हैं। प्रेरित का लिखा प्रथम काव्य संग्रह प्रयासरत पाठकों को खूब पसंद आया था। प्रवाह इसी कड़ी में नया काव्य संग्रह है जिसे लेकर इसके लेखक प्रेरित डागा व उनके पाठकों में बेहद उत्साह है। 

GENRE
Young adult
UITGEGEVEN
2019
11 oktober
TAAL
HI
Hindi
LENGTE
8
Pagina's
UITGEVER
Rajmangal Publishers
GROOTTE
621,9
kB