कन्यापक्ष (Hindi Novel)
Kanyapaksh (Hindi Novel)
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- $4.99
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Publisher Description
सोना दीदी कहती थी : उर्वशी की तरह किसी नारी का चित्रण कर जो किसी की माँ नहीं, बेटी नहीं, पत्नी नहीं–लेकिन सब कुछ है। ‘विक्रमोर्वशीय’ पढ़ा है न? लगता था, सोना दीदी मानो अपने ही बारे में कह रही हों। लेकिन मैंने जिनको देखा था, वे सब तो साधारण लड़कियाँ थीं। मुझे बड़ा घमंड था कि मैंने अनेक विचित्र नारी-चरित्र देखे हैं। लेकिन सोना दीदी की बातों से लगा कि जो सचमुच उर्वशी को देख सका है, उसके लिए तो अन्य नारियाँ तुच्छ हैं। विमल बाबू ने अपने प्रारम्भिक जीवन में देखे ऐसे ही कुछ उर्वशी-चरित्रों का चित्रण ‘कन्या पक्ष’ में किया है। ‘कन्यापक्ष’ उपन्यास नहीं है। उपन्यास की जो परिभाषा प्रचलित है, उसके घेरे में यह नहीं आता। लेकिन छोटी कहानियों की किताब भी यह नहीं है। क्यों नहीं है, यह समझाकर बताना जरूरी है। सब कुछ मिलाकर जो समग्र और अखंड प्रभाव उपन्यास का अन्यतम लक्षण है, वह इस ग्रंथ में है।