



चन्द्रकान्ता
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बाबू देवकीनन्दन खत्री (२९ जून १८६१ - १ अगस्त १९१३) हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होने चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता संतति, काजर की कोठरी, नरेंद्र-मोहिनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोंडा, कटोरा भर, भूतनाथ जैसी रचनाएं की। ‘चन्द्रकान्ता’ (सन् १८८८) जो प्रतिद्वंद्वी राज्यों के दो प्रेमियों की प्रेम-कहानी है। नौगढ़ के राजा सुरेन्द्रसिंह के पुत्र वीरेन्द्रसिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकान्ता के प्रणय और परिणय की कथा उपन्यास की प्रमुख कथा है। इस प्रेम कथा के साथ-साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम-कहानी भी अनेकत्र झलकती है। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में चन्द्रकान्ता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास ने सबका मन मोह लिया।