चंद्रकांता संतति
भाग ८
Publisher Description
चंद्रकांता संतति भाग ८ देवकीनंदन खत्री का बहुचर्चित उपन्यास है। तेजसिंह जब तिलिस्मी भवन में वहाँ की महारानी मायारानी के हाथों कैद हो जाते हैं तो उन्हें एक चण्डूल नामक व्यक्ति रिहा करवाता है। फिर कमलिनी के सहयोग से कुँवर इन्द्रजीत सिंह, आनंद सिंह और साथी, जो पिछले भाग में खंडहर से गायब हो गये थे और मायारानी की कैद में है, रिहा होते हैं। इस भाग में एक और रोचक घटना होती है। तिलिस्म की महारानी मायारानी जो कि जमानिया राज की महारानी थी वस्तुतः उसने अपने पति राजा गोपाल सिंह को बंदी बना कर, तिलिस्मी खजाने की लालच में पूरे राज और रिआया के साथ षड्यंत्र किया था। तेज सिंह और कमलिनी के सहयोग से गोपाल सिंह भी मुक्त कराये जाते हैं। अपना भेद खुलता देखकर मायारानी घबराती है और कई दूसरे अनर्थ करती है। इस तरह एक-दूसरे को शह-मात, दाव-घात देते हुये कहानी आगे बढ़ती है। दुश्मन और दोस्त का पता लगाना कई बार मुश्किल हो जाता है। मानवीय प्रवृति के साथ-साथ लेखक ने सामंती समाज का दर्पण भी दिखाया है। जहाँ लोभ-लाभ जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। राजा गोपाल सिंह को मारने के लिये मायारानी एक नई चाल चलती है। जिसमें वह सफल भी होती है और गोपाल सिंह की हत्या भूतनाथ की धोखेबाजी से हो जाती है। लेकिन गोपाल सिंह मरे नहीं इसका खुलासा अगले भाग में होगा। पाठक अपनी जिज्ञासा हेतु अगले भाग में प्रवेश करते हैं।