चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति
Book 18 - चंद्रकांता

चंद्रकांता संतत‪ि‬

भाग १८

Publisher Description

चंद्रकांता संतति भाग १८ देवकीनंदन खत्री का प्रसिद्ध उपन्यास है। उपन्यास अपने तमाम घुमावदार रास्ते बनाते हुये अब चुनार की तरफ मुड़ा है। धीरे-धीरे सारी घटनाएँ और कार्यवाहियाँ चुनार और उसके आस-पास होने लगी है। लेकिन अभी सनसनी बनाये रखने के लिये बहुत से वारदात हो रहे हैं या होने बाकी है। एक तो भूतनाथ की कहानी ही अपने आप में काफी दिलचस्प है जो कई बार उसकी कार्यवाहियों की वजह से उसे संदेहास्पद भी बनती है। बलभद्रसिंह को काशी से चुनार ले जाने के बाद कुछ अजीब होता है। भूतनाथ के सहयोग से बलभद्रसिंह फिर गायब हो जाते हैं। जमानिया में लीला के सहयोग से मायारानी, माधवी, भीम तथा कुबेरसिंह गुप्त ढंग से प्रवेश कर जाते हैं उनके साथ ही कुबेरसिंह के बहुत सारे सैनिक भी गुप्त रीति से घुस जाते हैं। जिन्हें निकालने के लिये गोपालसिंह को बहुत उद्योग करना पड़ता है। उधर तिलिस्म में भी अजीबों-गरीब घटनाएँ चलती है। दोनों कुमार एक के बाद दूसरी मुसीबतों में फँस जाते हैं। वहाँ उनकी मुलाकात कई युवतियों से होती है। उसी में से दो के साथ दोनों कुमारों की शादी हो जाती है। लेकिन सुबह दोनों ब्याहता की लाश पाई जाती है, जिनका चेहरा धोने पर मायारानी और माधवी निकलती हैं। इस तरह पाठक फिर एक चक्कर में पड़ जाते हैं। और पाठकों की दुविधा के साथ हम अगले भाग में प्रवेश करते हैं।

GENRE
Mysteries & Thrillers
RELEASED
2016
December 13
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
97
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SELLER
Public Domain
SIZE
832.3
KB

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