चंद्रकांता संतति
भाग १९
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चंद्रकांता संतति भाग १९ देवकीनंदन खत्री का काफी लोकप्रिय उपन्यास है। कहानी अब चुनार के आस-पास घुमती है। वहाँ कैदियों के मुकदमें शुरू किये जाते हैं। कैदियों के अपराध और पीछे की घटनाओं का सिलसिला जोड़ने के लिये यहाँ भी कई सनसनी वारदाते होती हैं। इस तरह की सनसनी के लिये फिर दो नकाबपोश कहानी के नये पात्र बनते हैं। इन्हीं नकाबपोशों के माध्यम से अपराधियों के कुकर्मों का पर्दाफाश होता है। लेकिन नकाबपोशों का रहस्य अभी बना हुआ है। धीरे-धीरे दुश्मन पक्ष का अंत हो रहा है। शिवदत्त और दिग्विजय सिंह का बेटा पहले ही मारे जा चुके हैं पिछले अंक में माधवी और मायारानी के मरने की सूचना मिलती है। जो बचे हुये है सभी चुनार के कारागार में कैद है। भूतनाथ के मुकदमे को लेकर कुछ अद्भुत काम इन्द्रदेव करते हैं। जिसका खुलासा बयान अगले अंक में होगा। लेखक की वर्णन शैली इतनी दूरगामी है कि पात्रों का वजन और उनकी उपस्थिति कहीं हल्की नहीं पड़ती। प्रारंभ में आये हुये पात्र आगे के पात्रों से अपना संबंध बखूबी जोड़ते हुये कहानी को एक नया मोड़ देते हैं। कई बार ऐसा लगता है कि पीछे के अंकों में जहाँ-जहाँ धटनाएं एकदम से रुक गई है, वह नये और पुराने पात्रों के सिलसिले को रोकने के सबब से ही हुआ है और कहानी का सिलसिला तब पूरा होता है जब नया पात्र एकदम से आ जाता है। अर्थात लेखक ने पूरी योजना बना कर कहानी के कथ्य और शिल्प को खड़ा किया है।