रानी केतकी की कहानी
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रानी केतकी की कहानी शीर्षक कहानी सैयद इंशा अल्लाह खाँ साहब द्वारा लिखी गई है। यह कहानी हिन्दी गद्य के बिल्कुल शुरूआती दिनों में लिखी गई थी। हिन्दी में पद्य (कविता) की सुदृढ़ परम्परा रही है लेकिन गद्य की शुरुआत १९ वीं शताब्दी के अंत और २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में माना जाता है। इसके पूर्व के हिन्दी साहित्य लेखन पर ब्रज और अवधी का प्रभाव है, जिसकी वजह से प्रारंभिक गद्य हिन्दी और खड़ी बोली हिन्दी पर उसका असर स्पष्ट दिखाई देता है। रानी केतकी की कहानी पर भी यह प्रभाव देखा जा सकता है। इस कहानी में कविता और दोहा जगह-जगह पर अपना स्थान बनाते हैं और भाषा में ब्रज का पुट है। कथानक में राजकुमार और राजकुमारी का प्रेम-प्रणय है तथा राजकुमार के पिता और राजकुमारी के पिता जो अलग-अलग राज्य के राजा हैं, का अहंकार है। आधुनिक हिन्दी या खड़ी बोली हिन्दी का साहित्य अपने सामंती केंचुल उतार कर व्यापक जन-मानस के भाव-व्यापार में प्रवेश कर रहा था। रानी केतकी की कहानी इसी संधि स्थल की कहानी है, जिसमें प्रेम है, रोमांस है, युद्ध और हिंसा है, तिलिस्म-जादूगरी है। कहानी मानवीयता के जमीन पर कम वायवीयता के लोक में ज्यादा घूमती है। फिर भी प्रारंभिक हिन्दी कहानियों के स्वरुप को जानने के लिये यह कहानी महत्वपूर्ण है।