Main Kaun Hoon?
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Publisher Description
स्वामी विवेकानंद भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासी बना दिया था ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू धर्म को पहचान दी । इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमरीका) की विश्व धर्म-संसद् में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई।
उनतालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आनेवाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
प्रस्तुत पुस्तक ‘मैं कौन हूँ?’ में स्वामीजी ने सरल शब्दों में एक आम आदमी के उन सवालों के उत्तर दिए हैं, उन जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया है, जिनमें वह अकसर उलझकर रह जाता है कि आखिर वह है कौन ? ये आत्मा-परमात्मा कौन हैं ? स्वयं को कैसे जाना जा सकता है ? हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? धर्म का जीवन में क्या महत्त्व है ? जीवन की सार्थकता क्या है? ऐसे ही करनेवाली विख्यात आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद की एक प्रेरक और ज्ञानवर्धक पुस्तक |