मेरे काव्य सन्देश
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Beschreibung des Verlags
दवा से बढ़ जाये मुनासिब है ।
जख्मों पर मरहम लगाते रहिये ।
बात को देर तक न टालिये ।
कुछ तो गुफ्तगू करिये ।
मेरा सब्र बेइन्तहा सही ।
उम्मीद का आसरा देते रहिये ।
अपनी खुशियों को खूब टाला मैंने ।
बता गमों को कैसे टाला जाये ।