Kaka Ke Chhakke Kaka Ke Chhakke

Kaka Ke Chhakke

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Publisher Description

आज हिन्दी साहित्य में काका हाथरसी को कौन नहीं जानता । काका का बचपन कष्टमय जरूर था, पर इन्होंने किसी को महसूस होने नहीं दिया । बाद में चलकर इनकी हास्य व मार्मिक कविताएं सामान्य-जन तक प्रचलित हुई । आज इनके हजारों शिष्य हिन्दी के उच्च साहित्यकार हैं । जगह-जगह साहित्यिक मंचों से इनकी कविताएं बड़ी रोचकता से पड़ी व सुनी जाती हैं । काका कहने मात्र से आज इन्हीं का बोध होता है ।


काका हाथरसी (18 सितंबर 1906 - 18 सितंबर 1995) भारत के हिंदी व्यंग्यकार और हास्य कवि थे। उनका असली नाम प्रभु लाल गर्ग था। उन्होंने कलम नाम काका हाथरसी के तहत लिखा। उन्होंने "काका" को चुना, क्योंकि उन्होंने एक नाटक में चरित्र निभाया, जिसने उन्हें लोकप्रिय बना दिया और "हाथरस" अपने गृहनगर हाथरस के नाम के बाद। उनके पास 42 क्रेडिट हैं, जिनमें विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हास्य और व्यंग्यात्मक कविताओं, गद्य और नाटकों का संग्रह है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर कलम नाम "वसंत" के तहत तीन किताबें भी लिखीं। 1932 में, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य पर पुस्तकों के लिए एक प्रकाशन घर, संगीत Karyalaya (शुरू में गर्ग एंड कंपनी) की स्थापना की, 1935 में एक मासिक पत्रिका संगीत प्रकाशित करना शुरू किया। संगीत शास्त्रीय संगीत और नृत्य पर एकमात्र आवधिक है। 78 वर्षों से लगातार प्रकाशित हो रहा है। काका हाथरसी की कई प्रतिभाएँ थीं - एक लेखक, कवि, संगीतकार, संगीतज्ञ, अभिनेता और एक बेहतरीन चित्रकार के रूप में मिल जाएगी। वे हिंदी कवि सम्मेलन के नियमित कलाकार थे। वास्तव में, वह कवि सम्मेलन के मंच पर हसी (हास्य) कवि की स्थापना करने वाले कवियों में से एक थे।
उन्हें 1985 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। आज, प्रत्येक वर्ष दिल्ली स्थित "हिंदी अकादमी" साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वार्षिक काका हाथरसी पुरस्कार रखा गया है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2017
20 April
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
160
Pages
PUBLISHER
Diamond Pocket Books
SIZE
1.2
MB

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