Radha Ke Krishn, Krishn ki Radha
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- 2,49 €
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Beschreibung des Verlags
"‘धीरज’ जी की कविता में उनके अन्तरमन में बसा राधा प्रेम स्पष्ट झलकता है। ‘धीरज’ जी द्वारा लिखित उपन्यासों, कहानियों, नाटकों, कथा कविताओं में समाज में व्याप्त विसंगतियों के विरुद्ध एक छेड़ी गयी जंग है। सामाजिक बंधनों, ऊँच नीच का अन्तर, जातिवाद, साम्प्रदायिकता व भ्रष्ट राजनीति से पीड़ित मन की पीड़ा को दर्शाने के साथ ही ईश्वर प्रेम को मनोवैज्ञानिक पृष्ठ भूमि पर दर्शाया जाना कवि की कल्पना की पराकाष्ठा है।
‘धीरज’ जी जितने सफल कवि है। उससे भी अधिक सफल उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार तथा रंगकर्मी हैं। जिनका नाटक ‘चौराहा’, ‘मुन्ना मरा नहीं’ समाज में व्याप्त विसंगतियों का जीवन्त उदाहरण हैं जिन्हें आप स्वयं निराला ऑडीटोरियम में रंगमंच पर प्रदर्शित कर चुके हैं। ‘राधा के कृष्ण, कृष्ण की राधा’ तथा भगवान रामचन्द्र जी पर जो कविताएं आप ने समाज का दी हैं, वह सराहना योग्य हैं।"