Talash Rahi Hun Khud Ko : तलाश रही हूं ख़ुद को Talash Rahi Hun Khud Ko : तलाश रही हूं ख़ुद को

Talash Rahi Hun Khud Ko : तलाश रही हूं ख़ुद क‪ो‬

Kavita Sangreh : कविता संग्रह

    • 3,49 €
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Beschreibung des Verlags

एक स्त्री अपने जीवन में कई रिश्ते निभाती है। कभी बेटी व बहन की भूमिका में वह अपने घर-आंगन की बगिया को महकाती है तो कभी पत्नी, बहू, भाभी या मां बनकर अपने सपनों के संसार को सजाती है। लेकिन जीवन के इन सभी पड़ावों में वह अपनी खुशी भूल जाती है। यहां मैं कोई किताबी या दार्शनिक बातें नहीं कर रही बल्कि आपकी और अपनी आप बीती बता रही हूं। आपका जीवन भी इससे अलग नहीं रहा होगा। आपके मन में भी कई ख्वाहिशों ने अपनी मौजूदगी जताई होगी पर जिन्दगी की इस उधेड़बुन में जैसे आप इन पर ध्यान ही नहीं दे पाई होंगी। अपने संसार में आप इतनी उलझ गई कि शायद आप कभी इनकी आहट भी न महसूस कर पाई हों या सुनकर भी आपने अपने दिल की आवाज को अनसुना कर दिया हो। हो सकता है कभी आपने अपने कुछ सपने पूरे भी कर लिए हों लेकिन उसके बाद भी आपने खुद को अधूरा महसूस किया हो और आपकी आपसे तलाश आज भी जारी हो। आपकी और मेरी यही तलाश व अधूरापन तथा हमारे जीवन में गुजरे तमाम खूबसूरत व दर्द भरे पलों को ही बयां करता है यह काव्य संग्रह 'तलाश रही हूं खुद को'। अपनी कविताओं को एक जगह इकट्ठा कर उसे काव्य संग्रह का रूप देना मेरी इस पुस्तक का उद्देश्य नहीं है बल्कि आपकी आपसे पहचान करवाने तथा अपने वजूद को पहचानने-खोजने और जीवन के बीते पलों को एक बार फिर से जीने का एक जरिया है यह काव्य संग्रह। हमारे जीवन के कई यादगार पलों का साथी है यह, हमारे जीवन की कोई भूली-बिसरी याद या फिर हमारे जब्बात और सबसे बड़ी बात आपके और मेरे वजूद की तलाश है यह काव्य संग्रह।

GENRE
Belletristik und Literatur
ERSCHIENEN
2016
31. Dezember
SPRACHE
HI
Hindi
UMFANG
111
Seiten
VERLAG
Diamond Pocket Books
GRÖSSE
502,6
 kB