Ye Bhi Nahi : यह भी नहीं Ye Bhi Nahi : यह भी नहीं

Ye Bhi Nahi : यह भी नही‪ं‬

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Beschreibung des Verlags

'यह भी नहीं ' सुप्रसिद्ध कथा शिल्पी महीप सिंह का बहुचर्चित उपन्यास है। महानगरीय परिवेश में मानवीय सम्बन्धों के बनते-बिगड़ते सम्बन्धों का जैसा तल स्पर्शीय चित्रण इस उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की जटिलता के साथ, ऐसे सम्बन्धों की नई परिभाषा उद्घाटित करता है।



महानगरीय जीवन मनुष्य में भौतिक जीवन की तृप्ति प्राप्त करने की अदम्य लालसा उत्पन्न कर देता है। यह लालसा उसमें भटकन उत्पन्न करती है। एसी भटकन उसमें लालसा की तृप्ति को किसी भी मूल्य पर अर्जित करने के प्रयासों को अधिक वेगवती बनाती है। तृप्ति और भटकन का सतत संघर्ष उसके जीवन में कोई ठहराव नहीं आने देता। वह अपने जीवन को डूबती-उतराती तरंगों के प्रवाह में अचेत ही सौंप देता है।



'यह भी नहीं' में अनेक समानान्तर - स्थितियां भी हैं। यदि इसमें एक ओर बहुत भटकी हुई शांता है तो दूसरी ओर बहुत ठहरी हुई संतोष है। अत्यन्त अशांत स्थितियों में जब कभी शांता संतोष का सान्निध्य प्राप्त करती है तो वह एक शांत नदी की भांति बहने लगती है।



'यह भी नहीं' में शांता का पति सोहन है जो किसी उद्दाम स्थिति में शांता के साथ वैवाहिक सम्बन्ध तो जोड़ लेता है किन्तु जीवन-शान्ति उसकी उंगलियों से बालू की रेत की भांति सदा झरती रहती है। यह रेत कभी उसकी मुट्ठी में नहीं टिकती।



भोलाराम पाठक, सुमी, डॉ पंडया आदि पात्र अपनी विडम्बनाओं और व्याधियों के साथ इस उपन्यास में अवतरित हुए हैं और इस उपन्यास के बहुआयामी चरित्र को उसारते हैं।

GENRE
Liebesromane
ERSCHIENEN
2017
20. Januar
SPRACHE
HI
Hindi
UMFANG
256
Seiten
VERLAG
Diamond Pocket Books
GRÖSSE
1,6
 MB