दरार
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दरार
फ़िशरमेंएककाव्यात्मकयात्रा!पात्रोंकाआपसमेंजुड़ना,खंडितवास्तविकताएँऔरसमयकेमाध्यमसेयात्राकाव्यात्मकअन्वेषणकेलिएपरिपक्वहै।यहयात्राइसोल्डेकीभावनाओं,उसकेरिश्तोंऔरउसकेसामनेआनेवालीअवास्तविकदुनियामेंगहराईसेउतरतीहै।
क्रैक्डहोराइजन
आकाशअबवैसानहींरहाजैसापहलेथा,
खामोशलहरोंमेंटूटकर,
एकक्षितिजबिखरगया
मेरेकदमोंकेभारसे।
प्रत्येकदरारगुनगुनातीहै—
एकगीतजोगोधूलिकीसांसोंमेंखोगया।
मैंआगेबढ़ताहूँ,उंगलियाँकाँपतीहैं,
औरमहसूसकरेंकिक्याहोसकताथा।
भविष्यदरकजाताहै,
कभीनअपनाएगएरास्तोंकाप्रतिबिंब।
वेमुझसेविनतीकरतेहैंकिमैंउनकाअनुसरणकरूँ,
उनकीटूटीहुईसमरूपतामेंगिरनेकेलिए।
लेकिनगैलेनकीआवाज़,
पृथ्वीकेसमानठोस,
मुझेअबवापसखींचताहै,
वर्तमानकीडोरसेबंधे.
मैंकबतकविरोधकरसकताहूं?
अंतहीनकलकाखिंचाव?
लिराकीकानाफूसी
छायादारदरारमें,लिराकीआवाज़पासआतीहै,
दरारोंभरेसपनोंमेंभीउसकाचेहरासाफ़है।
वोमेरेभूलेहुएदिलकीप्रतिध्वनिहै,
दर्पणोंकेमाध्यमसेएकमार्गदर्शक,अंधकारमयकिन्तुस्पष्ट।
हमजिनदरारोंकीतलाशकररहेहैं,उनकेपरेक्याहै?
टूटीहुईरोशनीमेंसच्चाईस्पष्टहै।
मैंउसकाहाथमहसूसकरताहूँ,रातकेअंतकीतरहठंडा,
लेकिनउसकाउद्देश्यछिपाहुआहै,कभीस्पष्टनहींहोता।
क्यावहमैंहूं,याकोईभूत-प्रेत?
इसखंडितदुनियामें,सबकुछस्पष्टहै।
स्मृतिऔरकांच
कांचकाएकशहर,
नाजुक,चमकदार,
समयकेबोझतलेबिखरतेहुए,
हरटुकड़ाएकस्मृति,
प्रत्येकदरारएकरास्ताहैजिसेमैंनेलियाहोगा।
यहाँ,मैंअपनेटूटेहुएआत्मकेकेंद्रमेंखड़ाहूँ,
मैंसोचरहाथाकिक्यामैंउसचीज़कोसुधारसकताहूँजोकभीथीहीनहीं।
पुरालेखपालकाविलाप
मैंसमयकीपरतोंकोधीरे-धीरेखुलतेहुएदेखताहूँ,
घिसीहुईउंगलियोंसेमैंउसचीजकोसिलताहूंजोकभीपूरीथी।
हरआँसूएकगीतहै,जोबहुतपहलेभूलगयाथा,
प्रत्येकप्रतिध्वनिविश्वकेनियंत्रणसेलुप्तहोतीजारहीहै।
दरारेंफैलगईहैं,अराजकताकोईनहींरोकसकता,
फिरभीमैंयहांखड़ाहूं,दरारोंकारक्षक।
हरचुनावमें,मैंदुनियाकीडिफ़ॉल्टदेखताहूँ,
हरजीवनमें,मैंमहसूसकरताहूँकिप्रत्येकमेंक्याकमीहै।
फिरभीअबवहआतीहै,बहुतगहराईसेदेखनेवालीआँखोंसे,
भाग्यकोचुनौतीदेना,वहांचलनाजहांकिसीकोनहींचलनाचाहिए।
औरयद्यपिवहउसबातकोउठातीहैजिसेनिभानेकीमैंनेशपथलीहै,
मुझेआश्चर्यहैकिक्याउसकेमाध्यमसेसभीकानेतृत्वकियाजासकताहै।
क्योंकिउसकेहाथोंमें,टूटेहुएटुकड़ेजुड़सकतेहैं,
याफिरइसयात्राकेअंतपरफिरसेटूटजाऊँगा।