Ve Din-Ve Raaten Ve Din-Ve Raaten

Ve Din-Ve Raaten

वे दिन-वे रातें

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Publisher Description

एकाएक मुझे कुछ ऐसा लगा मानो मित्र ने अपना एक पग ऊर्ध्व दिशा की ओर उठा लिया है । और दूसरे ही क्षण एक तीव्रतम कोलाहल ने मेरे कानों को हिला दिया । वह स्वर सुनकर मैं तक्षण स्तब्ध पड़ गया । वास्तव में वह स्वर किसी ठोस वस्तु के टूटने से ही उत्पन्न हुआ था । शायद भारी- भरकम लकड़ी के टूटने से ।

तुरंत मेरी आँखों के सामने उस घर के बाह्य द्वार का चित्र उभर आया। समझते देर न लगी कि मित्र ने उसी कपाट का कल्याण कर दिया है । मन की आँखें पूरा दृश्य दिखाने लगीं । वह कपाट टूट कर छितिर बित्तिर हो निराधार हवा में यों उड़ा, मानो वह कोई एकत्रित की हुई अनेकानेक तीलियों के संचित ढेर से बना था और उस क्षण यूँ लगा मानो कोई भीमकाय दैत्य पूर्ण वेग सहित उस द्वार से आ टकराया हो अथवा कहीं आस-पास ही एकाएक कोई विकराल विराट ज्वालामुखी फट गया हो ।

GENRE
Romance
RELEASED
2015
16 April
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
127
Pages
PUBLISHER
Diamond Pocket Books (P) Ltd.
SIZE
1
MB