Kayakalp - (कायाकल्प)
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- USD 3.99
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Descripción editorial
प्रेमचंद के उपन्यास कायाकल्प में चिन्तनीय तत्व उपरे हैं। उपन्यास में राजकुमार और गली देवप्रिया का कायाकल्प प्रस्तुत किया गया। राजकुमार पर्वतों में रहते हैं, योगाभ्यास करते हैं और ऐसे वायुयानों का आविष्कार करते हैं, जो इच्छानुसार उड़ते हैं, और भूमि पर उतरते हैं ऐसे काल्पनिक कथानक को पुनर्जन्म के द्वारा प्रेमचंद ने इस तरह मोड़ा है कि सामाजिक और मानवीय तत्वों के गंभीर अध्येता के लिए भी यह कृति प्रचुर सामग्री प्रस्तुत करती है।
‘कायाकल्प के कालचक्र में आगरा में साम्प्रदायिक दंग प्रारंभ होते हैं। गांधीवादी विचारधारा का प्रयोग करके चक्रधर उपद्रव शान्त करता है। ग्राम जगत में जमींदार के शोषण का प्राधान्य है। जनता इसके विरोध में उठ खड़ी होती है। इन्हीं सूत्रों के साथ मुंशी बज्रधर और उनके परिवार की रोचक कथा भी लिपटी हुई है। पुराने दरबारी बज्रधर का जीवन चाटुकारिता का रूप है। नेता बन जाने पर भी चक्रधर न जाने क्यों वैराग्य ले लेता है।
इस उपन्यास की केन्द्रीय समस्या पृथ्वी पर न्याय की खोज है। उपन्यास में यत्र-तत्र ऐसे विचार पहज प्राप्त हैं... ईश्वर ने ऐसी सृष्टि की रचना ही क्यों की, जहां इतना स्वार्थ, द्वेष और अन्याय है। क्या पृथ्वी नहीं बन सकती थी जहां सभी मनुष्य, सभी जातियां प्रेम और आनंद के साथ संसार में रहती? यह कौन सा इंसाफ है कि कोई तो दुनिया में मजे उदाए, कोई धक्के खाए?