



Faansi Ke Fande Tak
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Descripción editorial
लक्ष्मी का रो-रोकर बुरा हाल है। वो अपने मुँह पर हाथ रखे भवस-भवस रो रही है। मोहल्ले की औरतें उसे धीरज दिलाती हैं और कह रही हैं कि वह जल्दी ही वापस आ जाएँगे। छोटा बेटा दिनेश कुरसी पर बैठा जमीन को ताक रहा है। यहाँ सिर्फ परदादा की इज्जत ही मिट्टी में नहीं मिली है, दिनेश की भी मिल चुकी है। क्या कहेगा वह अपने दोस्तों से कि उसके पिताजी चोरी और खून के इल्जाम में जेल होकर आए हैं। हो सकता है आएँ ही नहीं! फाँसी भी हो सकती है।