Jeena Isi Ka Naam Hai
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Descripción editorial
कहां कूटनीति के दांवपेंच, दुराव, छिपाव और अलगाव, कहां अंतरतम के गूढ़तम भावों को प्रकट करने की काव्य कला। कहां विदेश सेवा की सजावट, बनावट और दिखावट, कहां नरेन्द्र जैन का निश्चल, निष्कपट और निर्व्याज मन। विदेश सेवा ने उनकी अनुभूति को विविधता और वैश्विक विस्तार दिया है। विदेश सेवा के इस उदीयमान कवि—साहित्यकार राजनयिक के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।