अहंकार अहंकार

अहंका‪र‬

Descripción editorial

अहंकार मूलतः फ्रेंच उपन्यास है। जिसकी रचना अनातोले फ्रांस ने थायस नाम से किया था। प्रेमचंद ने इस उपन्यास का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया है। इस उपन्यास का मूल प्रतिपाद्य ईश्वरीय आस्था व विश्वास है। हिन्दू धर्म के मत-मतान्तरों की तरह ईसाई धर्म के प्रारंभिक दिनों में यहूदी धर्मावलम्बियों से गहरा मतभेद था। यहूदी चूँकि पूर्व से प्रतिष्ठित थे, अत: ईसाईयों से स्वभावतः द्वंद्व बना रहा। इस उपन्यास में ईश्वरीय प्रतिष्ठा के आलोक में जीवन और दर्शन की बारीकियों पर गहनता के साथ विचार किया गया है। लेखक कहता है कि “मनुष्यों के दुःख के तीन कारण होते हैं। या तो वह वस्तु नहीं मिलती जिसकी उन्हें अभिलाषा होती है अथवा उसे पाकर उन्हें उसके हाथ से निकल जाने का भय होता है अथवा जिस चीज को वह बुरा समझते हैं उसको उन्हें सहन करना पड़ता है। इन विचार को चित्त से निकाल दो और सारे दुःख आप-ही-आप शांत हो जायेंगे।” लेखक जीवन की उलझनों, चिंताओं तथा रस्सा-कस्सी से निजात पाने के लिये सिर्फ ईश्वर-समर्पण को ही उचित मनता है। लेकिन इस समर्पण के साथ वह एक शर्त लगाता है कि ‘अहंकार’ का दमन करे। चूँकि तमाम समर्पण के बावजूद अहंकार ही मनुष्य को ईश्वरीय साक्षात् से वंचित करता है।

GÉNERO
No ficción
PUBLICADO
2016
13 de diciembre
IDIOMA
HI
Hindi
EXTENSIÓN
259
Páginas
EDITORIAL
Public Domain
TAMAÑO
1,4
MB

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