किसे जगाऊं (Hindi) किसे जगाऊं (Hindi)

किसे जगाऊं (Hindi‪)‬

Kise_Jagaoon (Hindi)

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Publisher Description

मुझे लगता है कि मेरी स्मरण-शक्ति अब कुछ क्षीण होने लगी है। संभवतः यह वृद्धावस्था का लक्षण है। मेरे इस विचार पर मेरे कुछ मित्रों को बहुत आपत्ति है। वे नहीं चाहते कि मैं अपने इस वार्धक्य की चर्चा करूँ। उनकी मान्यता है कि मैं अभी पूर्णतः युवा हूँ, तो ऐसे में व्यर्थ ही अपनी वृद्धावस्था की चर्चा कर लोगों को भ्रमित क्यों करता हूँ, एक तो अपने केशों को रंगता नहीं, ऊपर से वह दाढ़ी भी बढ़ा रखी है, जिसमें सफेदी पूरी तरह उभर आई है। कुछ लोग इसे मेरा षड्यंत्र मानते हैं कि मैं अपने केशों को रंग कर काले करने के स्थान पर किसी प्रकार का कोई रंग-उड़ाऊ रासायनिक प्रयोग में लाता हूँ, जिससे मेरी दाढ़ी की सफेदी बढ़े; मेरी अवस्था कुछ अधिक दिखाई पडे़; मुझे वयोवृद्ध मान लिया जाए; और साहित्य के उन सम्मानों में से कुछ मुझे मिल जाएँ, जो मृत्यु के निकट पहुँच जाने पर, अथवा मृत्यूपरांत दिए जाते हैं। मैं सोचता हूँ कि आखिर मेरे उन मित्रों को मेरी युवावस्था से इतना प्रेम क्यों है? क्यों वे मेरे वार्धक्य की चर्चा सहन नहीं कर सकते; और इस प्रकार भड़क जाते हैं? मैं तो काल-चक्र से इतना भयभीत नहीं हूँ; अपनी युवावस्था को बचाए रखने के लिए न सक्रिय हूँ, न चिंतित! तो वे ही क्यों इतने विचलित हैं? क्या वे मेरी युवावस्था से मुझसे भी अधिक प्रेम करते हैं? पर मेरी बुद्धि कहती है कि उन्हें चिंता मेरी युवावस्था की नहीं, अपने प्रचारित मिथ्या यौवन की है। मैं अवस्था में उनसे छोटा होकर, यदि वृद्ध हो गया, तो वे अपनी युवावस्था कैसे प्रचारित करते जा सकते हैं। पता नहीं मनुष्य सत्य को स्वीकार करना क्यों नहीं चाहता? क्यों वह भ्रम में जीना चाहता है? कैसा बाँध रखा है ईश्वर की माया ने उसे…।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2012
25 January
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
102
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
544
KB

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