Dekhna Ek Din
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Publisher Description
‘उत्सवा’, ‘अरण्या’ आदि काव्य-संकलनों तथा ‘महाप्रस्थान’, ‘प्रवाद-पर्व’ आदि प्रबन्ध-काव्यों की भूमिकाओं में तथा अन्यत्र भी काव्य सम्बन्धी अपनी मान्यताओं की विस्तार से चर्चा करता रहा हूँ। वस्तुतः मेरे कवि की यही आधारभूत सृजनात्मक भूमि और मानसिकता है। इधर के काव्य-संकलनों–‘आखिर समुद्र से तात्पर्य’, ‘पिछले दिनों नंगे पैरों’ या यह संकलन ‘देखना, एक दिन’ यदि पूर्व संकलनों से अलग लगते हैं, जो कि कुछ तो लगते ही हैं, तो यह स्वरूपगत या बानकगत ही ज्यादा होगा। मैं किसी उर्ध्व से नीचे आकर अब धरती से ज्यादा निकट हुआ हूँ या लग रहा हूँ, ऐसा मानना वास्तविक न होगा।