पवहारी बाबा पवहारी बाबा

पवहारी बाब‪ा‬

Publisher Description

पवहारी बाबा विवेकानन्द द्वारा लिखित एक सिद्ध संन्यासी की संस्मरणात्मक कथा है। विवेकानन्द ज्ञान पिपाशु इंसान थे। अपनी ज्ञान साधना के लिये उन्होंने अनंत कष्ट उठाये थे। योग और अध्यात्म के माध्यम से जीवन और समाज को देखने की दृष्टि स्वामी जी ने विकसित की। इसी ज्ञान अन्वेषण यात्रा में उनकी मुलाकात एक संन्यासी से हुई, जो कि सिर्फ वायु (पवन) पी कर रहते थे। चूँकि उनका आहार पवन ही था इसलिये स्वामी जी ने उनके लिये ‘पवहारी’ संबोधन किया है। विवेकानन्द ने धर्म-साधना पर बहुत जोर दिया है। इसी दृष्टि से उन्होंने धर्म के चार प्रकार बताये हैं 1. ज्ञानयोग 2. कर्मयोग 3. राजयोग 4. भक्तियोग। ज्ञानयोग और कर्मयोग पर स्वामी जी का विशेष जोर था। पवहारी बाबा ज्ञानी महात्मा थे, उनके जीवन के बहुत से सदआचरण स्वामी जी ने अपने जीवन में उतारे थे। उनके बारे में स्वामी जी कहते थे कि ‘वे शारीरिक दु:खों को प्रियतम का दूत समझते थे।’ पवहारी बाबा का मानना था कि शब्द द्वारा नहीं बल्कि जीवन द्वारा ही शिक्षा देनी चाहिये। चूँकि सत्य की प्राप्ति शब्दों द्वारा नहीं भीतरी साधना द्वारा ही हो सकती है। इस प्रकार आदर्श जीवन का मार्ग सत्यत्व से हो कर ही जाता है। और इसी सत्य के एक गवेष्णकर्ता थे पवहारी बाबा। यह पुस्तक हमें जीवन-दर्शन की सीख देती है।

GENRE
Biography
RELEASED
2016
22 December
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
23
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SIZE
641.4
KB

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