Hindutva Ki chetana ke Swar (हिंदुत्व की चेतना के स्वर)
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- £1.49
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Publisher Description
'हिंदुत्व की चेतना के स्वर'- भारत की संस्कार आधारित संस्कृति को स्पष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। संस्कारों का निर्माण कर भारत ने अपनी संस्कृति का निर्माण किया है। इन संस्कारों ने व्यष्टि से समष्टि तक एक ऐसी सुन्दर व्यवस्था विकसित की, जिसे विश्व संस्कृति के नाम से भी संबोधित किया जा सकता है। इस व्यवस्था में सर्वत्र सुख-शांति के दर्शन होते हैं।लेखक राकेश कुमार आर्य हिन्दी दैनिक 'उगता भारत' के मुख्य सम्पादक हैं। 17 जुलाई, 1967 को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जनपद के महावड़ ग्राम में जन्मे लेखक की अब तक 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनके लिए उन्हें राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह जी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों, संस्थाओं, संगठनों और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों/ शैक्षणिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। भारतीय वैदिक संस्कृति और इतिहास पर उनका लेखन निरंतर जारी है।प्रस्तुत पुस्तक के अध्ययन से यह पूर्णतया स्पष्ट और सिद्ध हो जाता है कि सुख-शांति की तलाश में भटकता मानव यदि भारत की संस्कार आधारित संस्कृति को अपना ले और हृदय से उसकी महानता को स्वीकार कर ले तो यह संसार फिर से सुख-शान्ति का आगार बन सकता है। प्रस्तुत पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में लेखक हमें इसी ओर चलने की प्रेरणा देते हुए दिखाई देते हैं।भारत का एकात्म मानवतावाद, धर्म, संस्कृति-संस्कार और इनके भीतर रचे-बसे मानवीय मल्य आज भी मानवता व संसार का मार्गदर्शन करने में सक्षम हैं। लेखक इस तथ्य को समझाने व स्थापित करने में पूर्णतया सफल रहे हैं। लेखक का मानना है कि यही वे स्वर हैं, जिन्होंने हिंदुत्व को सदैव जीवन्त बनाए रखा है और भारत की संस्कृति को सनातन का नाम दिया है।