Kathopnishad Bhag-1
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Publisher Description
सम्पूर्ण संसार मृत्यु से भागता है क्योंकि मृत्यु तो सर्वस्व छीन लेती है। परन्तु जो व्यक्त्ति मृत्यु के समक्ष सहर्ष खड़ा होना स्वीकार कर लेता है वह मृत्यु से भी कुछ पा लेता है। विडंबना देखिए, मृत्यु का ज्ञान ही जीवन को वरदान बना देता है। कथा है बालक नचिकेता यमराज के समक्ष जाता है और उन दोनों में अद्वितीय संवाद घटता है। उसी का वर्णन कठोपनिषद् में है। उपनिषद् का अर्थ है गुरु के सान्निध्य में बैठना। इस कथा के माध्यम से गुरुदेव ने इतने गहन रहस्य को जीवन की वास्तविक परिस्थितियों के परिसर में बिठा अर्मूत बोध को जीवंत सत्यता प्रदान कर दी है।