Pragyan Purush Pt. Suresh Neerav : प्रज्ञान पुरुष पं. सुरेश नीरव
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Publisher Description
पंडित सुरेश नीरव एक ऐसी आभ्यंतरिक यात्रा के यायावर हैं, जो अन्यथा और नान्यथा, तथाकथित और यथाकथित, विद्रूपता और तद्रूपता तथा परीत और विपरीत को समान मैत्री—भाव से अपने साथ लेकर विचरण करते हैं। जीवन में समर्थ होने की बजाय विश्वसनीय होना ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है। पंडित सुरेश नीरव समवेतरूप से समर्थ और विश्वसनीय रचनाकार हैं। पंडित सुरेश नीरव के अकुंठ अंतस्—वैकुंठ में उदात्त आंतरिकता और आत्मीयता की जो अजस्रता है, वह इस बात का प्रतीक है कि मनुष्यता का अनवरत विकास अभी उनके भीतर जारी है और इसीलिए उनकी रचनाएं मनुष्यता के अविश्रांत यात्रा का जयघोष बनकर समाज के सामने आ रही हैं। इनकी कथन—भंगिमा साहित्य और अध्यात्म की ऐसी अनूठी महाभाव—स्थिति है, जहां कविताएं स्वयं जीवन का अभिनंदन बन जाती हैं। पंडित सुरेश नीरव ट्टसारस्वत सुमन’ हैं। ईश्वर के प्रति भक्ति और मनुष्यता के प्रति अनुरक्ति इनकी रचनाओं का ट्टआंतरिक अस्तित्व’ है, सर्जन का ट्टचिन्मय’ है और यही ट्टशब्द’ के गर्भ में विकसित हो रहे ट्टतात्पर्य’ का ट्टलोकार्पण’ है। वे शब्द—अनुष्ठान के स्वयं यज्ञ भी हैं और योग भी हैं, इसलिए उनकी रचनाएं तथ्यगत भी हैं और तत्त्वगत भी।