द्रोण
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Publisher Description
ऋषि भारद्वाज के पुत्र द्रोण अपने पिता के शिष्य अग्निवेष से धनुर्विद्या प्राप्त करते है। अत्यंत गुप्त आज्ञेयास्त्र का प्रयोग करने में माहिर कुरुवंशज अर्जुन उनका प्रियशिष्य था। उसे समस्त भूमंडल के एक श्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिए वे एकलव्य से उसका अंगूठा गुरुदक्षिणा के रूप में लेते हैं। द्रौपदी वस्त्रापहरण का कड़ा विरोध किया। परंतु हस्तिनापुर साम्राज्य के प्रती अपना कर्तव्यनिष्ठता का समर्पण कर के दुर्योधन के पक्ष में युद्ध किया। महाभारत के युद्ध में कौरव सेनापती का कार्य निर्वहण किया। पुत्र अश्वथामा के निधन की घोषण सुनकर वे रथ में बैठ कर ध्यान करने लगे। उसी समय अर्जुन ने उनका वध किया।