नज़रबंद लोकतंत्र नज़रबंद लोकतंत्र

नज़रबंद लोकतंत्‪र‬

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Publisher Description

लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है; न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-' ' यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार; समर्पित; सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । '' इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता; साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है; न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-' ' यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार; समर्पित; सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । '' इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता; साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता; साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2020
23 November
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
423
Pages
PUBLISHER
Prabhat Prakashan Pvt Ltd
SIZE
1.6
MB

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