मार्कंडेय
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Publisher Description
महर्षि मृकंडु के पुत्र थे मार्कंडेय। अपने अल्पायु होने का विचार जानकर वे महादेव शिव की घोर तपस्या करते हैं। उनसे अनुग्रहित होकर, मृत्युंजय महामन्त्र का जप करके यमपाश से मुक्त होजाते हैं। महाप्रलय के काल में बाल मुकुंद की नाभी पर ब्रम्हांड को देखकर आश्चर्य चकित होगये। वे योगविद्या की सहायता से प्राणवायु को अपन वश किया। पाण्डवो की वनवास काल में मार्कंडेय उनसे आश्रम में मिलते हैं। और युधिष्ठिर के अत्यंत कठिण प्रश्नों का समाधान भी करते हैं। महाभारत ग्रंथ में यह "मार्कंण्डेय समस्या पर्व" से अत्यंत प्रसिद्ध है। योगविद्या इस तरह कई महान पुरुषों की चरित्र को इस छोटी सी पुस्तक में लिखा गया है। .