Karna Karna

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Publisher Description

महर्षि दुर्वास ने कुन्ति को उसकी विवाह से पूर्व जो वरदान दिया था उसे कुन्ती परीक्षण करना चाहती थी। उसने सूर्यदेव का आहवान किया। भगवान् सूर्य की अंश से कर्ण का जन्म हुआ। लोक निंदा कि डर से कुन्ती शिशु को एक पेटी में लिटाकर नदी में बहादिया। तत पश्चात् उस शिशुको अतिरथ नाम का एक सारथी को मिला। उसने उसे पाल पोसकर बड़ा किया और धृतराष्ट्र को सौंपदिया। वह दुर्योधन की मित्रता, गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखकर परशुराम से शापग्रस्त होजाता है। महाभारत के युद्ध में कृष्ण की कूटनीति, अर्जुन की कुशल बाणप्रयोग से निरायुध कर्ण का अंत होता है। अंत में जब उसे पता लगता है की वह पाण्डवों में सबसे बड़ा है फिर भी दुर्योधन को दिया वचन के अनुरूप उसके पक्ष मे रहजाता है। अपनी दान शूरता के लिए लोक प्रसिद्ध कर्ण की कहानि इस पुस्तक में चर्चित ती गई है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2019
22 May
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
37
Pages
PUBLISHER
Bharatha Samskruthi Prakashana
SIZE
3.3
MB

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