Kavi Ke Man Se
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Publisher Description
इस कविता-शृंखला के बारे में
आधुनिक हिन्दी कविता की अलग-अलग कई सरणियाँ हमारे सामने हैं। यह कविता शृंखला हिन्दी कविता की उदारवादी धारा है। इस कविता-धारा के पहले सैट में सात कवियों की कविताओं एक-एक संग्रह प्रस्तुत है। विचारधारा मनुष्य के लिए है, मनुष्य विचारधारा के लिए नहीं। जीवन किसी भी विचारधारा से बड़ा है। उसे समझने की कोशिशें बार-बार होती रही हैं, आने वाले समय में भी होती रहेंगी। साहित्य को उदारवादी दृष्टिकोण की ज़रूरत है, जहाँ उन सबका स्वागत और सम्मान हो जो मनुष्यता और मानव-मूल्यों में विश्वास करते हैं। इस शृंखला में प्रस्तुत कवियों के पास अपने-अपने जीवन से अर्जित अनुभवों की समृद्ध संपदा है और उसे कविता में ढालने की कला की अदभुत क्षमता भी। जब यह प्रस्ताव मैंने इंडिया नेटबुक्स के स्वामी श्री संजीव कुमार, जो स्वयं एक कवि हैं, के सामने रखा तो उन्होंने इसके प्रकाशन का दायित्व लेने में तत्काल अपनी सहमति दी। आज प्रकाशन के बिना कहा हुआ रेखांकित नहीं होता। जब यही प्रस्ताव इस काव्य-शृंखला के पहले सैट में आने वाले कवियों के सामने रखा तो उन्होंने भी इसे सहर्ष स्वीकार किया और शीघ्र ही अपनी-अपनी पांडुलिपियाँ दे दीं। 'कवि के मन से' कविता-शृंखला में प्रस्तुत प्रत्येक कवि ने स्वयं अपनी-अपनी कविताओं का चुनाव किया और उसके साथ ही एक भूमिका प्रस्तुत की है। पहले सैट में सर्वश्री रामदरश मिश्र, प्रमोद त्रिवेदी, कुसुम अंसल, शशि सहगल, दिविक रमेश और संजीव कुमार के साथ ही इस काव्य-शृंखला के प्रस्तावक प्रताप सहगल के कविता संग्रह आपके सामने प्रस्तुत करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। आप इन कवियों की काव्य-यात्रा की झलक इन संग्रहों में पा सकते हैं। अगले सैट में हम कई और कवियों की कविताओं के साथ प्रस्तुत होंगे।
प्रताप सहगल
प्रस्तावक