Sahab Bathroom Mein Hain : साहब बाथरूम में हैं : सिनेमा पर हास्य व्यंग्य
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Publisher Description
"इस पुस्तक के दूसरे भाग में सिनेमा पर हास्य व्यंग्य भरी टिप्पणियां हैं। कोई पेज खोल कर, कोई एक टिप्पणी पढ़ लें। उसके बाद यह पुस्तक खरीदने से अपने आप को रोक सकें तो रोक कर दिखायें - यह तारीफ नहीं सूचना है।
कुछ बनने के बाद लोग आत्मकथा लिखते हैं। मैं जो बनना चाहता था वह तो बन नहीं पाया। सो आत्मकथा तो लिख नहीं सकता, लिख भी ली तो पढ़ेगा कौन। इस पुस्तक का पहला भाग ‘मेरा सफर’ में कुछ बनने की यात्रा के दौरान घटी मनोरंजक और मार्मिक घटनाएं आपसे शेयर कर रहा हूँ। पढ़े तो ठीक, न पढ़े तो भी चलेगा।"