चिंता चिंता

चिंत‪ा‬

    • 0,99 €
    • 0,99 €

Descrizione dell’editore

चिंता से काम बिगड़ते हैं, ऐसा कुदरत का नियम है। चिंता मुक्त होने से सभी काम सुधरते हैं। पढ़े-लिखे खाते-पीते घरों के लोगों को अधिक चिंता और तनाव हैं। तुलनात्मक रूप से, मज़दूरी करनेवाले, चिंता रहित होते हैं और चैन से सोते हैं। उनके ऊपरी (बॉस) को नींद की गोलियाँ लेनी पड़ती हैं। चिंता से लक्ष्मी भी चली जाती है। दादाश्री के जीवन का एक छोटा सा उदाहरण है। जब उन्हें व्यापार में घाटा हुआ, तो वे किस तरह चिंता मुक्त हुए। “एक समय, ज्ञान होने से पहले, हमें घाटा हुआ था। तब हमें पूरी रात नींद नहीं आई और चिंता होती रहती थी। तब भीतर से उत्तर मिला की इस घाटे की चिंता अभी कौन-कौन कर रहा होगा? मुझे लगा कि मेरे साझेदार तो शायद चिंता नहीं भी कर रहे होंगे। अकेला मैं ही चिंता कर रहा हूँ। और बीवी-बच्चे वगैरह भी हैं, वे तो कुछ जानते भी नहीं। अब वे कुछ जानते भी नहीं, तब भी उनका चलता है, तो मैं अकेला ही कम अक्लवाला हूँ, जो सारी चिंताएँ लेकर बैठा हूँ। फिर मुझे अक्ल आ गई, क्योंकि वे सभी साझेदार होकर भी चिंता नहीं करते, तो क्यों मैं अकेला ही चिंता किया करूँ?” चिंता क्या है? सोचना समस्या नहीं है। अपने विचारों में तन्मयाकर हुआ कि चिंता शुरू। ‘कर्ता’ कौन हैं, यह समझ में आ जाए तभी चिंता जाएगी।

GENERE
Salute, mente e corpo
PUBBLICATO
2016
17 giugno
LINGUA
HI
Hindi
PAGINE
43
EDITORE
Dada Bhagwan Vignan Foundation
DIMENSIONE
529,4
KB

Altri libri di Dada Bhagwan & Dr. Niruben Amin

ਮੈਂ ਕੌਣ ਹਾਂ ? (In Punjabi) ਮੈਂ ਕੌਣ ਹਾਂ ? (In Punjabi)
2017
ਕ੍ਰੋਧ (In Punjabi) ਕ੍ਰੋਧ (In Punjabi)
2017
ਚਿੰਤਾ (In Punjabi) ਚਿੰਤਾ (In Punjabi)
2017
ਟਕਰਾਅ ਟਾਲੋ (In Punjabi) ਟਕਰਾਅ ਟਾਲੋ (In Punjabi)
2017
हुआ सो न्याय हुआ सो न्याय
2016
प्रेम प्रेम
2016

Altri hanno acquistato

Hindi Short Stories for Children ( छोटी बाल कहानिया ) Hindi Short Stories for Children ( छोटी बाल कहानिया )
2012
Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 27 Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 27
2012
Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 2 Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 2
2012
Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 16 Munshi Premchand Ki Panch Kahaniya, Volume 16
2012
भैरब अर्यालका छ हास्य निबन्धहरु भैरब अर्यालका छ हास्य निबन्धहरु
2012
Kids vs Hindi: Talking World (Enhanced Version) Kids vs Hindi: Talking World (Enhanced Version)
2015