भूतनाथ-6 (Hindi Novel)
Bhootnath-6 (Hindi Novel)
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- 2,49 €
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Descrizione dell’editore
चुनारगढ़ से लगभग चार कोस हट कर जंगल के किनारे पर बने हुए एक बड़े और पक्के कूएँ पर हम पाठकों को ले चलते हैं। सुबह का समय है, सूरज अभी नहीं निकला है फिर भी उसकी आवाई जान रँग-बिरँगी चिड़ियाँ जाग उठी हैं और टहनियों पर बैठ कर अपनी मनोहर बोलियों से जंगल को गुँजा रही हैं। इस कूएँ पर जिसका जिक्र हमने ऊपर किया है, इस समय पाँच-छः आदमियों की एक छोटी मंडली दिखाई पड़ रही है जो अभी यहाँ पहुँची है और अपना बोझ उतार हलकी हो रही है। इनमें से एक आदमी सरदारी के तौर पर एक हलके बिछावन पर जा बैठा है जो इसके लिए इसके साथियों ने आते ही बिछा दिया है और बाकी के इधर-उधर बैठे हुए सुस्ताते तथा साथ-साथ बातें भी करते जाते हैं। पाठकों को तरद्दुद में न डाल हम बताये देते हैं कि ये लोग वे ही हैं जिनका हाल हम पन्द्रहवें भाग के उन्नीसवें बयान में लिख आए हैं अथवा जो उस गुफा में से गौहर और मुन्दर को ले भागे थे। हमारे पाठक यह भी जानते हैं कि जब तक उस आदमी के असली नाम का पता न लग जाए जो इन लोगों की सरदारी कर रहा है तब तक के लिए हमने उसका नाम घनश्याम रख दिया है। अस्तु इस समय हम तब तक उसे इस बनावटी नाम से ही पुकारते जाँयगे जब तक कि उसके असली नाम का पता नहीं लग जाता।