दुर्वास दुर्वास

दुर्वा‪स‬

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महर्षि अत्रि-अनसूय दंपतियों से शिवजी की वरदान से जनित महर्षि दुर्वास है। कुंती की सेवा मनोभाव से आनंदित होकर उसे अनुग्रह किया। वे दर्योधन से प्रेरित होकर, पाण्डवों के आतित्य स्वीकार करने अपने दस हजार शिष्यों सहित पाण्डवों, के आश्रम में, द्रौपदी के भोजन के पश्चात चलेगये। पाण्डवों के पास एक अक्षय. पात्र था जो सूर्य देवता से उनको प्राप्त हूआ था। द्रौपदी के भोजन के पश्चात उस बरतन से कुछ नहीं निकलत था। ऐसे संकट की स्थिति में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को प्रार्थन की और दुर्वास की क्रोधाग्नी से श्री कृष्ण ने पाण्डवों को बचाया।

ジャンル
小説/文学
発売日
2019年
5月24日
言語
HI
ヒンディー語
ページ数
32
ページ
発行者
Bharatha Samskruthi Prakashana
販売元
Draft2Digital, LLC
サイズ
2.8
MB

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