Chhutkara Chhutkara

Chhutkara

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मेरी समझ में नहीं आया मैं और क्या बात करूँ। मैंने अपने नाखूनों का विस्तार से निरीक्षण शुरू कर दिया। बड़े हुए नाखूनबत्रा का खून उबालने के लिए पर्याप्त कारण रहे हैं। वह निगाह टमाटर के रस पर जमाये रहा। मेरे मुँह से एकदम सामने पेडस्टल पंखा चल रहा था और मेरे छोटे-छोटे बाल बराबर बगावत कर रहे थे। यह वैन्गर्ज की विशेषता थी कि विश्वविद्यालय वाली उसकी शाखा में कुर्सियाँ हमेशा टूटी, मेजें लँगड़ी और पंखे शरारती होते थे। गर्मियों की छुट्टियों में एक खास छात्र वर्ग की भीड़ होती, जो एम.ए. प्रीवियस के बाद फाइनल का घोखना तीस अप्रैल से ही शुरू करने में विश्वास रखती या जिन्हें और कहीं मिलने-मिलाने की सुविधा न होती, शायद लड़की के माँ बाप अतिरिक्त अनुशासनप्रिय और लड़के के साथ उसके कमरे में कोई पार्टनर।

GENRE
Fictie en literatuur
UITGEGEVEN
2010
18 april
TAAL
HI
Hindi
LENGTE
110
Pagina's
UITGEVER
Bhartiya Sahitya Inc.
GROOTTE
609,4
kB

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