Ramakrishna Paramahansa - (रामकृष्ण परमहंस) Ramakrishna Paramahansa - (रामकृष्ण परमहंस)

Ramakrishna Paramahansa - (रामकृष्ण परमहंस‪)‬

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Descripción editorial

‘मनुष्य को यदि भगवान तक पहुंचने का यत्न करना है तो उसको चाहिये कि सर्वप्रथम वह सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाये। अपने सब पूर्व संस्कारों को भुला दे। घृणा, लज्जा, कुल, शील, भय, मान, जाति तथा अभिमान ये आठों मनुष्य की आत्मा को बन्धन में रखने वाले पाश के समान हैं। भगवान तक पहुंचने के लिये इनसे मुक्त होना आवश्यक है। यज्ञोपवीत, जाति अथवा कुल का सूचक अभिमान का प्रतीक है। इसलिए यह भी पाश के समान ही है। इसी प्रकार उसको समझना चाहिए कि यह सब रुपया पैसा भी मात्र मिट्टी है इससे अधिक कुछ भी नहीं।’-रामकृष्ण परमहंस

GÉNERO
No ficción
PUBLICADO
2020
22 de octubre
IDIOMA
HI
Hindi
EXTENSIÓN
160
Páginas
EDITORIAL
Diamond Pocket Books
VENDEDOR
diamond pocket books pvt ltd
TAMAÑO
1.4
MB

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