जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी (Hindi Memoir)
Jinki Yad Hamesha Hari Rahegi (Hindi Memoir)
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- S/ 17.90
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- S/ 17.90
Descripción editorial
प्रख्यात लेखक अमृत राय के विभिन्न लेखकों के संस्मरण : अब तो ठीक याद भी नहीं कि नागरजी ने कब पहली बार अपनी चिट्ठी में इस संबोधन का इस्तेमाल किया था, पर जब भी किया हो इस प्यारे संबोधन की बात पहले उन्हीं को सूझी थी। सचमुच बड़ा अच्छा संबोधन था ये जो एक खिलंडरे अंदाज में बीच की बहुत-सी बेमतलब दूरियाँ ख़त्म करके बड़ी प्यारी-सी एक आत्मीयता का संबंध खेल-खेल में बना देता था। और मुझे अच्छी तरह याद है कि उनकी उस पहली चिट्ठी के बाद से हम दोनों अपनी चिट्ठियों में यही संबोधन इस्तेमाल करते थे। चिट्ठियाँ लिखने में हम दोनों ही जरा आलसी थे पर जो भी चिट्ठियाँ उनके पास या मेरे पास संयोगवश बच गयी होंगी, उनमें यही मिलेगा