Khamoshiya Khamoshiya

Khamoshiya

    • S/ 4.90
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Descripción editorial

बहुत सोचा तेरे खत का जवाब लिखूं,
मगर लिखूं भी तो क्या लिखूं।
चंद लफ्जों में बयान कैसे हो,
सोचा हाल ए दिल पे एक किताब लिखूं॥
जिक्र तेरा आए उससे पहले,
तुमको गुल लिखूं या माहताब लिखूं॥
मेरे हाथों में हो अगर किस्मत की किताब,
तो इश्क से आगाज और इश्क पे अंजाम लिखूं॥

ये किताब दिल के उन एहसासों को बयान करती है, जो पहले प्यार के दूर हो जाने पर हम महसूस करते है।

किताब मैं लिखी हर एक शायरी आपके दिल तक जाएगी, और आपको आपके पहले प्यार की याद दिलाएई।

यह लफ्ज़ नही एहसास है,
तेरे मेरे दिल के अल्फाज है।
जो कत्ल हुए बरसो पहले,
दिल मैं दफन वो जज़्बात है।।

GÉNERO
Técnicos y profesionales
PUBLICADO
2021
5 de junio
IDIOMA
HI
Hindi
EXTENSIÓN
10
Páginas
EDITORIAL
Vivek kumar bajaj
VENTAS
Draft2Digital, LLC
TAMAÑO
346.8
KB

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