ग्राम्य जीवन की कहानियाँ ग्राम्य जीवन की कहानियाँ

ग्राम्य जीवन की कहानिया‪ँ‬

Publisher Description

ग्राम्य जीवन की कहानियाँ शीर्षक पुस्तक प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह है। इस संकलन के तहत प्रेमचंद की ग्राम्य जीवन से सम्बंधित कहानियाँ संकलित हैं। जो कि एक तरह से शीर्षक की पुष्ठी भी करती है। प्रेमचंद शहर के जीवन को बुद्धि से देखते थे और गाँव के जीवन को ह्रदय से। बतौर कलाकार प्रेमचंद ने दोनों समाज को भोगा था। लेकिन गाँव में डूबकर जीते थे। ग्रामीण जीवन के एक-एक कोने की पड़ताल प्रेमचंद ने अपने-आप में जी कर किया था। उनके चरित्र नायक चाहे वह हलकू हो, केदार हो या सुजान हो सभी भारतीय गाँवों की हकीकत है। ग्रामीण जीवन भारतीय समाज का दर्पण है। इस दर्पण में दिखाई देने वाली तस्वीर ऐसी ही हकीकत है जैसे प्रकृति में जलाशय और वनस्पति। जीवन और वनस्पति, जीवन और जलाशय में गहरा सम्बंध है। चूँकि दोनों की प्रकृति के केंद्र में सत्य है। और भारतीय गाँव सिर्फ गाँव ही नहीं बल्कि भारतीय समाज की जीवन शैली है। भारतीय गाँव भारतीय समाज का एक ऐसा अलिखित दस्तावेज है जो आख्यानों में चिर-स्मरणीय है। प्रेमचंद इसी गाँव-समाज को एक लिखित स्वरूप प्रदान कर रहे थे। प्रेमचंद की निगाह में ग्रामीण सौन्दर्य किसान-मजदूर के श्रम में, खेत-खलिहान में, हरे मैदान और बाग-बगीचों में है। उनकी दृष्टि में, खेतों में लहलाहती फसल भारतीय जीवन की उम्मीद है। धरती का जोतना उम्मीद की शुरूआत। किसान अपने जीवन का श्रम-सौन्दर्य लुटाकर भी रोटी की चिंता में जिंदगी गुजार देता है। यही भारतीय ग्रामीण जीवन की तस्वीर है। जिसे प्रेमचंद ने अपनी कहानियों का प्रतिपाद्य बनाया है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2016
13 December
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
217
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SIZE
1.2
MB

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