कीचड़ में कमल
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Utgivarens beskrivning
दीपक सिंह का बचपन का सपना था कि वो एक पुलिस अफ़सर बने । एक आम परिवार में जन्मे दीपक के पिता का बहुत कम उम्र में ही देहांत हो गया था। उसकी माँ ने उसे पाला और पढ़ाया।
दीपक ने प्रशासनिक सेवा में तीसरा रैंक हासिल किया। अपनी मर्ज़ी से प्रशासनिक सेवा में पुलिस की वर्दी को चुना । एक प्रतिभाशाली, आदर्शवादी अफ़सर के रूप में प्रदेश और देश की सेवा करने का बीड़ा उठाया । लेकिन हर कदम पर उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसे चार बार सरकार ने ईमानदारी से काम करने के बावजूद निलंबित किया।
इस अँधेरे में उजाले की किरण तब प्रज्वलित हुई जब जनहित पार्टी नें बहुमत से प्रदेश में सरकार बनायी और एक संन्यासी को प्रदेश का मुखिया बनाया । मुख्य मंत्री स्वामी नित्यानन्द को सभी स्नेह से महाराज जी कहते थे। महाराज जी ने दीपक को प्रदेश को अपराध मुक्त करने का दायित्व दिया । दीपक तुम अपनी टीम स्वयं चुनो मगर इस प्रदेश को अपराध की दलदल के मुक्त करो महाराज ने कहा । दीपक ने अपनी टीम में सभी ईमानदार और अच्छे अफसरो को चुना।
ईमानदार और दबंग किंतु निलंबित अफ़सर असग़र अली से मिलने जब दीपक उनकी हवेली में पहुँचे तो दीपक की मुलाक़ात मिर्ची यानी शबनम से हुई। दोनों आँखो आँखो में एक दूसरे को दिल दे बैठे ।
अपराध को समाप्त करने के लिए दीपक ने बहुत ठोस कदम उठाएँ। चार साल में उसे शानदार सफलता मिली।
चार साल बाद मुख्य मंत्री महाराज जी पर जान लेवा हमला हुआ और वो बुरी तरह घायल हो गये। नये मुख्य मंत्री ने आ कर सभी अपराधी बाहुबलियों पर लगे केस हटा दिये। बाहुबलियों को प्रदेश में तांडव मचाने की खुली छूट दे दी।
राज धर्म और न्याय को पुनःस्थापित करने के लिये संन्यासी महाराज जीं ने और दीपक ने क्या किया। आगे पढ़िये इस उपन्यास में।