रामायण के महाफात्र
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Utgivarens beskrivning
रामायण का काल त्रेतायुग माना जाता है। पितृवाक्य परिपालक श्रीराम, भाई में भक्ति-प्यार-त्याग संप्पन्न लक्ष्मण, असहायक दशरथ, पतिपरायणा सीता, रामभक्त दासानुदास हनुमान, भाई भाइयों के बीच द्वेष के प्रतीक वालि-सुग्रीव, शिवभक्त होने पर भी विषयलंपट रावण, जन्म से राक्षस होनो पर भी हरिभक्त विभीषण - ये सभी पात्र हमारी आँखों के सामने आ खड़े होने - जैसे चित्रित हैं। यही तत्व इन पुस्तकों की विशेषता है।