Ajeya Karn Ajeya Karn

Ajeya Karn

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Publisher Description

जब महाभारत कभी उत्कीर्ण होगा, शिलाओं पर कर्ण का गौरव खुदेगा, पीढ़ियाँ गाती रहेंगी शौर्यगाथा, कर्ण, तुम तो तुम्हीं हो, अनुपम अनन्वय। प्रस्तुत लम्बी कविता में कवि की प्रांजल मेधा का ओजस्वी रूप प्रगट हुआ है। संश्लिष्ट शब्द चित्रों द्वारा पात्र के संघर्षपूर्ण मनोगत को अनेक फलकों पर चित्रांकित करने में कवि अत्यंत सफल हुआ है। हमारा यह अनुभव रहा है कि समान के प्रचण्ड सामर्थ्य पूर्ण किसी व्यक्ति के सम्मुख प्रगट न होकर पीठ पीछे से उस पर घात-प्रतिघात करने की मनोवृत्ति वाले कायर लोग प्रतापी व्यक्तियों के प्रति नृशंसता भरे व्यवहार किये रहते हैं। कहा जा सकता है कि कवि ने सामयिक जीवन की त्रासद एवं कुटिल वास्तविकता के समर्थ प्रतीक के रूप में कर्ण को प्रस्तुत करने में अपनी जागरूक और सार्थक रचना धर्मिता का सराहनीय परिचय दिया है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2010
10 October
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
40
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
345.6
KB