इश्क़ की ख़ुशबू है सूफ़ी : Ishq ki Khushbu Hai Sufi
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- $1.99
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Publisher Description
गुलाब पर लिखना हो तो कुछ पन्ने तो क्या कई किताबें भरी जा सकती हैं। गुलाब के पास पंखुड़ियां है, पत्तियां है। रंग हैं, पराग हैं। लेकिन ख़ुशबू के मामले में बात उल्टी हो जाती है। उसके पास कुछ नहीं जिसे वह दिखा सके। इसलिए उस पर पन्ने तो क्या एक शब्द भी नहीं टांका जा सकता। ख़ुशबू के आगे व्याकरण लाचार है। ख़ुशबू के आगे शब्दकोश फीका है। क्योंकि शब्दों में वो क्षमता नहीं कि ख़ुशबू को रच सके, और तो और आदमी के सारे हुनर ख़ुशबू के आगे घुटने टेक देते हैं।
सूफ़ी इश्क़ की ख़ुशबू है या फिर यूं कहें सूफ़ी का इश्क़ ही वह खुशबू है जिसे ने देखा जा सकता है न दिखाया जा सकता। न कहा जा सकता है न पढ़ा जा सकता। गुलाब के पास कितना कुछ है जो दिखता है जो उसके सौंदर्य को, उसके होने को प्रमाणित करता है।