खरपतवारों का औषधीय उपयोग
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Publisher Description
प्रकृति में जन्म लिये हर एक पौधे में अनेक ऐसे गुण होते हैं जिन्हें सही तरह से उपयोग में लाकर विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं से निजात पाई जा सकती है, बशर्ते इन गुणों की उचित ज्ञान या पहचान हो।
कुछ पौधे, जोकि खेत, बाड़ी, सड़क किनारे अथवा बंजर भूमियों में बहुत सी वनस्पतियाँ बिना बोये फसलों के साथ स्वतः उग जाती हैं जिन्हें हम खरपतवार समझकर उन्हें उखाड़ कर फेंक देते हैं या फिर शाकनाशी छिड़काव कर नष्ट कर देते हैं । सम्पूर्ण ज्ञान का बोध ना होने के कारण बहुत ऐसी उपयोगी वनस्पतियाँ विलुप्त होने पर हैं।
खरपतवार के रूप में उगने वाले इन वनस्पतियों का वैद्य विशारद और आयुर्वेद दवाइयों के निर्माता अनेक वर्षों से एकत्रित करवाते आ रहे हैं। इन खरपतवारों के विविध गुणों से अनभिज्ञ किसान भाइयों और ग्रामीणजन को इन बहुमूल्य पौधों को एकत्रित करने के एवज में थोड़ी मजदूरी से ही संतोष करना पड़ता है।
अतः इस किताब का प्रमुख उद्देश्य किसान भाइयों व ग्रामीणजन को जागरूक करना है ताकि परम्परागत चिकित्सा (आयुर्वेदिक) पद्धति में प्रयोग की जाने वाली इन विलुप्त हो रही वनस्पतियों को बचाया जा सके एवं विभिन्न रोगों के उपचार में वनस्पतियों/जड़ी-बूटियों के उत्पादों के बढ़ते उपयोग और बाजार में इन पौधों की बढ़ती माँग को देखते हुये अब आवश्यक हो गया है कि हमारे बेरोजगार नौजवान भाई प्रकृति प्रदत्त औषधीय वनस्पतियों को पहचाने और रोग निवारण की उपयोगिता के बारे में समझ सकें, जिससे उनके शाक, बीज और जड़ों को एकत्रित कर आयुर्वेदिक/देशी दवा विक्रेताओं को बेचकर किसान भाई और ग्रामीणजन अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकें।