गबन गबन

गब‪न‬

Publisher Description

गबन प्रेमचन्द का काफी लोकप्रिय उपन्यास है। प्रेमचन्द मानव-स्वभाव के कुशल शिल्पी रहे हैं। इस उपन्यास में भी कथा नायक के मनोभाव का इतना स्पष्ट और सुन्दर चित्रण किया है कि रमानाथ टाईप चरित्र बन कर उभरता है। रमानाथ स्वभावत: दुर्बल और भीरु किस्म का इंसान है। बार-बार गलतियाँ कर के पीछे पछताता है, लेकिन सीखता कभी नहीं। वहीं नायिका जालपा दृढ़ निश्चयी, परिश्रमी और स्पष्टवादी है। वह खराब से खराब स्थिति में अपने को स्यत ढंग से प्रस्तुत कर सकती है। उपन्यास–कथा के केंद्र में स्त्री के आभूषण प्रियता को रखा गया है। आभूषण प्रियता की वजह से ही रमानाथ झूठ बोलता है और एक के बाद दूसरी गलतियाँ करता जाता है। मिथ्या दूरदर्शी नहीं होता। रमानाथ भी अपने ही बनाये झूठ के दलदल में फँसता जाता है और एक दिन दफ्तर से सरकारी रकम गबन कर जाता है। गबन के बाद की कहानी उपन्यास को दूसरी भूमि प्रदान करती है। जहाँ समस्या राष्ट्रीय है। विलासवृत्ति संतोष नहीं सिखाती। लगातार गलतियाँ करने के बावजूद रमानाथ पुलिस के प्रलोभन में आ जाता है और सरकारी गवाह बन जाता है। अपनी कायरता और लालच के आगे उसे न्याय-अन्याय में कुछ अंतर नहीं समझ में आता। यहाँ भी जालपा पहुँच कर उसे ललकारती है और पाप के दलदल से निकालती है। अंत में कथा एक आदर्श भूमि को प्राप्त होती है। इस उपन्यास में स्त्री चेतना और जागृति की अनूठी मिशाल रखी गई है। साथ ही औपनिवेशिक हिन्दुस्तान की एक झलक भी मिलती है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2016
December 13
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
443
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SELLER
Public Domain
SIZE
1.9
MB
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